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Saturday, May 11, 2013

माँ एक शब्द नहीं ग्रन्थ है जिसमे पूरा संसार समाया है l माँ वो हाथ है ,जिनको आज भी थामने पर एक शक्ति का अहसास होता है l माँ वो सानिध्य है, जो पास न होते हुए भी पास होने  का अनुभव  है l माँ वो अभिलाषा है जो सोचने से पहले ही पूरी हो जाती है l माँ वो प्रार्थना है ,जो कभी खाली नहीं जाती l माँ वो लोरी है ,जिसे सुनकर बुरे समय में भी नींद आजाती है l माँ वो जीती जागती  मूर्ति है, जिसको पूजने का दिल करता है l माँ वो दुनिया है, जहाँ बच्चा स्वयं को पूर्ण महसूस करता है l





  'नहीं जी ऐसा नहीं है '
आज माँ ने कहा था
जीवन भर
पिता के सामने 'हूँ ','हाँ '
करते ही सुना था
शायद
अब उसे
बड़े हुए बच्चों का
सहारा मिल गया था
-0-
 उनके कुछ कहते ही
एक भारी  रोबीली आवाज
और कुछ कटीले शब्द
यहाँ वहां उछलने लगे
रात मैने  देखा
माँ
अपनी ख्वाहिशों पर
हल्दी प्याज का लेप लगा रही थी
-0-
 आज
उस पुराने बक्से में
मिली माँ की
कुछ धुंधली साड़ियाँ
जिनका एक कोना
कुछ चटकीला था
जानी  पहचानी
गंध से भरा हुआ l
काम करते करते
अक्सर यहीं
हाथ पोछा करती थी माँ l
-0-
कल रात
 कुछ खट्टे सपने
पलकों में उलझे थे
झड रही थी उनसे
भुने मसलों की खुशबू
माँ ने शायद फिर
आम का आचार
डाला होगा
-०-
मेरे माथे पर
हल्दी कुमकुम का टीका  है
कल मेरे सपने में
शायद फिर से आई थी माँ
-०-