लहू लुहान
घायल
भावनाएं तुम्हारी
सिसकती रही
लाख पूछने पर
तुमने कहा
नागफनी से उलझ गईं थी
पर ये नहीं कहा की
वो नागफनी का जंगल
मेरी ही जीभ पर उगा है
-०-
पथरीली राह पर
बे खौफ चलती मै
अपने पैरों पर
अभिमान करती रही
पर आज
अचानक जो मुड़ के देखा
रिस रहा था लहू
तुम्हारी घायल हथेलियों से
-०-
प्रेम का शब्द
उछाला जो अम्बर की ओर
बादल का एक टुकड़ा
घरती पर आ गिरा
सुबह
धरती भीगी सी थी
-0-
मै तुम्हारा हूँ
पर खोने से डरती हो शायद
इसी लिए
टूटी पलक को
हाथ पे रख
आँख बंद कर बुदबुदाती हो प्रार्थना
और फूख मारदेती हो
-०-
तुम्हारा प्यार
जैसे बंद कमरे की
खोल दी हो खिड़कियाँ किसीने
धूप का एक टुकड़ा
हाथों में कुछ अधखिले पुष्प ले कर
नंगे पांव अंदर आया
और सीलन भरे
हर कमरे को महका गया
-०-
तुम्हारा प्यार
भजन की वो तिलस्मी पंक्तियाँ
जो जादू की छड़ी से
उदास तितली को छूता है
और वो
तुम्हारे रंग की खुश्बू से
महकने लगती है