1
तुम गुलाब बन खिलना
मै कांटा बन
करूँगा रक्षा तुम्हारी
तुम्हे टूटने से बचा न सक तो
तोड़ने वाले के हाथ जख्मी तो कर दूंगा
2
गुलाब के ऊपर
गिरी शबनम
जानती है
सूख जाएगी धूप में
पर फिर भी चली आती है
उसके मोह में
३
भगवान
मुझे गुलाब मत बनाना
मुझे बनाना
रूप गंध विहीन
छोटा सा फूल
क्यों की मुरझाने से पहले
नहीं होना चाहता जुदा
मै अपनी डाली से
३
सुनो
अगले जन्म में
तुम गुलाब न बनना
कोई न कोई तोड़ ही लेगा
तुम कांटा भी न बनना
सभी बुरा कहेंगे तुम्हें
तुम गर्मी बन धरती पर उतारना
मै अनाज बन उगुंगा
छू कर तुम्हे
सुनहरा हो जाऊँगा
और बन जाऊँगा वरदान
किसी भूखे के लिए
तुम गुलाब बन खिलना
मै कांटा बन
करूँगा रक्षा तुम्हारी
तुम्हे टूटने से बचा न सक तो
तोड़ने वाले के हाथ जख्मी तो कर दूंगा
2
गुलाब के ऊपर
गिरी शबनम
जानती है
सूख जाएगी धूप में
पर फिर भी चली आती है
उसके मोह में
३
भगवान
मुझे गुलाब मत बनाना
मुझे बनाना
रूप गंध विहीन
छोटा सा फूल
क्यों की मुरझाने से पहले
नहीं होना चाहता जुदा
मै अपनी डाली से
३
सुनो
अगले जन्म में
तुम गुलाब न बनना
कोई न कोई तोड़ ही लेगा
तुम कांटा भी न बनना
सभी बुरा कहेंगे तुम्हें
तुम गर्मी बन धरती पर उतारना
मै अनाज बन उगुंगा
छू कर तुम्हे
सुनहरा हो जाऊँगा
और बन जाऊँगा वरदान
किसी भूखे के लिए