सभी को दिवाली की बहुत बहुत शुभकामनायें .लिखना तो कुछ और चाहती थी पर न जाने कैसे ये लिख गया .यही कुछ फूल बटोर पाई हूँ इनमे कितनी खुशबू है ये तो आप ही बतायेंगे
मुझे डराने को
सुतली बम जलाते थे तुम
मै डर कर
छुप जाती थी
आज भी
हर दिवाली डरती हूँ
पर सुतली बम कोई नहीं जलाता
-0-
सुनो ,
दिए बुझने लगे है
थोडा तेल तो डालो l
उस बरस कहा था तुमने
मुझे आज भी
सुनाई देते हैं वो शब्द
और मै तेल ले कर
छत पर आजाती हूँ
-0-
बरसों बाद
लौटे जो तुम घर
एक ख़ुशी की किरण
आँगन उतरी
और घर
महकने लगा
-0-
दिया लिए हाथों में
तुम चली
चौखट की ओर
चाँद सोचता रहा
दिए में चमक ज्यादा है
या चेहरे का नूर
-0-
काले कपडे पहन
चाँद ऊँघ रहा था
के एक शोर से चोंक गया
खिड़की से झाँका
तारे चिल्ला रहे थे
"घरती के तारों की चमक
हमसे ज्यादा कैसे "?
-0-
चमकते घरों के बीच
मुरझाई झोपडी से
आवाज आई
माँ ये दिवाली आती ही क्यों है ?
आज
अपने घर का अँधियारा
और गहरा लगने लगता है
-0-
लाखों तारों से
सजी थी धरती
इसकी सुन्दरता देख
जल उठा अम्बर
और काली चादर ओढ
सो गया
-0-
वो एक घर
अंधकार में डूबा था
सुना है
इस घर का मालिक
तारा बन गया है
-0-
मुझे डराने को
सुतली बम जलाते थे तुम
मै डर कर
छुप जाती थी
आज भी
हर दिवाली डरती हूँ
पर सुतली बम कोई नहीं जलाता
-0-
सुनो ,
दिए बुझने लगे है
थोडा तेल तो डालो l
उस बरस कहा था तुमने
मुझे आज भी
सुनाई देते हैं वो शब्द
और मै तेल ले कर
छत पर आजाती हूँ
-0-
बरसों बाद
लौटे जो तुम घर
एक ख़ुशी की किरण
आँगन उतरी
और घर
महकने लगा
-0-
दिया लिए हाथों में
तुम चली
चौखट की ओर
चाँद सोचता रहा
दिए में चमक ज्यादा है
या चेहरे का नूर
-0-
काले कपडे पहन
चाँद ऊँघ रहा था
के एक शोर से चोंक गया
खिड़की से झाँका
तारे चिल्ला रहे थे
"घरती के तारों की चमक
हमसे ज्यादा कैसे "?
-0-
चमकते घरों के बीच
मुरझाई झोपडी से
आवाज आई
माँ ये दिवाली आती ही क्यों है ?
आज
अपने घर का अँधियारा
और गहरा लगने लगता है
-0-
लाखों तारों से
सजी थी धरती
इसकी सुन्दरता देख
जल उठा अम्बर
और काली चादर ओढ
सो गया
-0-
वो एक घर
अंधकार में डूबा था
सुना है
इस घर का मालिक
तारा बन गया है
-0-