जब वो उदास होती है
तितलियों से मांग के रंग
बनाती है इन्द्रधनुष
खामोश शब्दों मे
भरती है गुनगुनाहट
लेट कर घास पर
ढूंढती है चेहरे बादलों मे
खेलती है पानी से
बटोरती है सीपें
बना के अपने चारों ओर क्यारियाँ
खुशियाँ बीजती है
दौड़ती है नंगे पाँव
ओस के खेतों मे
खुद को दुलारती ,है
मनाती है खुद ही को
जब वो उदास होती है
अपने बहुत पास होती है
तितलियों से मांग के रंग
बनाती है इन्द्रधनुष
खामोश शब्दों मे
भरती है गुनगुनाहट
लेट कर घास पर
ढूंढती है चेहरे बादलों मे
खेलती है पानी से
बटोरती है सीपें
बना के अपने चारों ओर क्यारियाँ
खुशियाँ बीजती है
दौड़ती है नंगे पाँव
ओस के खेतों मे
खुद को दुलारती ,है
मनाती है खुद ही को
जब वो उदास होती है
अपने बहुत पास होती है