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Tuesday, February 11, 2014




लहू लुहान
घायल
भावनाएं तुम्हारी
सिसकती रही
लाख  पूछने पर
तुमने कहा
नागफनी से उलझ गईं थी
पर ये नहीं कहा की
वो नागफनी का जंगल
मेरी  ही जीभ पर उगा है
-०-
पथरीली राह पर
बे  खौफ चलती  मै
अपने पैरों पर
अभिमान करती रही
पर आज
अचानक जो मुड़ के देखा
रिस रहा था लहू
  तुम्हारी घायल हथेलियों से
-०-
प्रेम का शब्द
उछाला जो अम्बर की ओर
बादल का एक टुकड़ा
घरती पर आ गिरा
सुबह
धरती भीगी सी थी
-0-

 मै तुम्हारा हूँ
पर खोने से डरती हो शायद
इसी लिए
टूटी पलक को
हाथ  पे रख
आँख बंद कर बुदबुदाती हो प्रार्थना
और फूख मारदेती हो
-०-
तुम्हारा प्यार
जैसे बंद कमरे की
खोल दी हो खिड़कियाँ किसीने
धूप  का एक टुकड़ा
हाथों में कुछ अधखिले पुष्प ले कर
नंगे पांव अंदर आया
और  सीलन भरे
हर कमरे को  महका गया
-०-
तुम्हारा प्यार
भजन की वो तिलस्मी पंक्तियाँ
जो जादू की  छड़ी से
उदास तितली को छूता  है
और वो
तुम्हारे रंग की खुश्बू से
महकने लगती  है

18 comments:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

लाजबाब,बेहतरीन प्रस्तुति...!
RECENT POST -: पिता

shikha varshney said...

एक से बढ़कर एक क्षणिकाएं सब.
ये खास पसंद आई
प्रेम का शब्द
उछाला जो अम्बर की ओर
बादल का एक टुकड़ा
घरती पर आ गिरा
सुबह
धरती भीगी सी थी

DR. SHIKHA KAUSHIK said...

sabhi kshanikayen sateek v sarthak hain .aabhar

Rahul... said...

आपकी कवितायें सच में बहुत सुन्दर व संतुलित है...काफी सुखद है इसे पढ़ना...बधाई..

संजय भास्‍कर said...

बेहतरीन क्षणिकाएं सब

Ankur Jain said...

सूंदर प्रस्तुति।।।
पहली मर्तबा आपके ब्लॉग पे आया काफी अच्छा लगा आपकी रचनाएं पढ़कर...

दिगम्बर नासवा said...

पथरीली राह पर
बे खौफ चलती मै
अपने पैरों पर
अभिमान करती रही
पर आज
अचानक जो मुड़ के देखा
रिस रहा था लहू
तुम्हारी घायल हथेलियों से ...
Bahut hi gahra ehsas liye ... Prem ka lahoo tha jo ris raha tha ... Sabhi lajawab ...

ओंकारनाथ मिश्र said...

एहसासों के कई रंगों को छूती आपकी रचना अच्छी लगी.

Satish Saxena said...

वाह !!
एक खूबसूरत रचना , शुभकामनायें आपको !

मुकेश कुमार सिन्हा said...

सारी क्षणिकाएं लाजबाब !!
मंत्रमुग्ध करती हुई .......

Suman said...

एक से एक सुन्दर क्षणिकाएं !

Unknown said...

You are exceptionally good writer or poet i must say. Your style is unmatchable. Keep Writing and sharing.

जयकृष्ण राय तुषार said...

सुन्दर अर्थ समेटे क्षणिकाएं |

सूफ़ी ध्यान श्री said...

एल शब्द..........लाजवाब!

Anonymous said...

वाह ! बेहतरीन क्षणिकाएं !

Anonymous said...
This comment has been removed by the author.
प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

वाह... लाजवाब भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
नयी पोस्ट@भजन-जय जय जय हे दुर्गे देवी

संजय भास्‍कर said...

आपकी कवितायें सच में बहुत सुन्दर व संतुलित है