लहू लुहान
घायल
भावनाएं तुम्हारी
सिसकती रही
लाख पूछने पर
तुमने कहा
नागफनी से उलझ गईं थी
पर ये नहीं कहा की
वो नागफनी का जंगल
मेरी ही जीभ पर उगा है
-०-
पथरीली राह पर
बे खौफ चलती मै
अपने पैरों पर
अभिमान करती रही
पर आज
अचानक जो मुड़ के देखा
रिस रहा था लहू
तुम्हारी घायल हथेलियों से
-०-
प्रेम का शब्द
उछाला जो अम्बर की ओर
बादल का एक टुकड़ा
घरती पर आ गिरा
सुबह
धरती भीगी सी थी
-0-
मै तुम्हारा हूँ
पर खोने से डरती हो शायद
इसी लिए
टूटी पलक को
हाथ पे रख
आँख बंद कर बुदबुदाती हो प्रार्थना
और फूख मारदेती हो
-०-
तुम्हारा प्यार
जैसे बंद कमरे की
खोल दी हो खिड़कियाँ किसीने
धूप का एक टुकड़ा
हाथों में कुछ अधखिले पुष्प ले कर
नंगे पांव अंदर आया
और सीलन भरे
हर कमरे को महका गया
-०-
तुम्हारा प्यार
भजन की वो तिलस्मी पंक्तियाँ
जो जादू की छड़ी से
उदास तितली को छूता है
और वो
तुम्हारे रंग की खुश्बू से
महकने लगती है
18 comments:
लाजबाब,बेहतरीन प्रस्तुति...!
RECENT POST -: पिता
एक से बढ़कर एक क्षणिकाएं सब.
ये खास पसंद आई
प्रेम का शब्द
उछाला जो अम्बर की ओर
बादल का एक टुकड़ा
घरती पर आ गिरा
सुबह
धरती भीगी सी थी
sabhi kshanikayen sateek v sarthak hain .aabhar
आपकी कवितायें सच में बहुत सुन्दर व संतुलित है...काफी सुखद है इसे पढ़ना...बधाई..
बेहतरीन क्षणिकाएं सब
सूंदर प्रस्तुति।।।
पहली मर्तबा आपके ब्लॉग पे आया काफी अच्छा लगा आपकी रचनाएं पढ़कर...
पथरीली राह पर
बे खौफ चलती मै
अपने पैरों पर
अभिमान करती रही
पर आज
अचानक जो मुड़ के देखा
रिस रहा था लहू
तुम्हारी घायल हथेलियों से ...
Bahut hi gahra ehsas liye ... Prem ka lahoo tha jo ris raha tha ... Sabhi lajawab ...
एहसासों के कई रंगों को छूती आपकी रचना अच्छी लगी.
वाह !!
एक खूबसूरत रचना , शुभकामनायें आपको !
सारी क्षणिकाएं लाजबाब !!
मंत्रमुग्ध करती हुई .......
एक से एक सुन्दर क्षणिकाएं !
You are exceptionally good writer or poet i must say. Your style is unmatchable. Keep Writing and sharing.
सुन्दर अर्थ समेटे क्षणिकाएं |
एल शब्द..........लाजवाब!
वाह ! बेहतरीन क्षणिकाएं !
वाह... लाजवाब भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
नयी पोस्ट@भजन-जय जय जय हे दुर्गे देवी
आपकी कवितायें सच में बहुत सुन्दर व संतुलित है
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