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Tuesday, November 17, 2009

शोर

चहुँ और है शोर बहुत
भीतर बाहा हर ओर
तभी सुनाई नही देती
हिमखंड के पिघलने की आवाज़
गाँव के सूखे कुंए की पुकार
धरती में नीचे जाते
जल स्तर की चीख

1 comment:

Anant Alok said...

यूँ शोर में बहरा हो गया आदमी
शोर ओर गहरा हो गया,आदमी |