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Tuesday, August 30, 2011

ताज्ज़मुल चाचा ,रहीमा फूफी ,सकीना आपा नाजाने ऐसे कितने ही रिश्ते ईद पर यादों की गिरह खोल बाहर आते हैं  और मेरी हथेली पर ईदी रख कर कहीं गुम  हो जाते हैं .आने लगती हैं मुझे सेवईयों की खुशबू ,सुनाई  देती है चूड़ियों की खनक और शीर खोरमा की याद मेरी स्वाद कलिकाओं को भिगो जाती है .जब भी माँ को फोन करो बिना पूछे बता ही देती है सकीना आपा की शादी होगई ,रहीमा फूफी बीमार है और ताज्जमुल चाचा .......................................................................



ईद मेले में
मै हरी चूड़ियाँ बन के बिका
तुम आयीं
और लाला चूड़ियाँ खरीद कर चली गईं
तुमको तो
हरा रंग पसंद था न ?
------------------------------------------

मूंद कर  मेरी आँखे
पूछा था तुमने
बताओ कौन हूँ मै?
उन यादों के पल
आज भी
मेरी अलमारी में सजे हैं
तुम कभी आओ
तो दिखाऊंगा
--------------------------------------------------
अचानक
मेरे बुलाने पर
चौंक कर पलटी थी तुम
और तुम्हारे मेहँदी भरे हाथ
लग गए थे मेरी कमीज़ पर
अब हर ईद पर
मै उसको गले लगता हूँ
आज भी इनसे
गीली मेंहदी की खुशबू आती है
--------------------------------------------------------
बादल  के परदे हटा के
झाँका जो  चाँद ने
मुबरक मुबारक !!
के शोर से सिमट गया
सोचा ,
निकलता तो रोज ही हूँ
पर आज ..................
उसे क्या मालूम
के वो ईद का चाँद है
-------------------------------
तुमने ,
उस रोज
मेरे कानों में
हौले से कहा था
'ईद मुबारक '
अब ,
जब भी देखती हूँ ,
ईद का चाँद
खुद ही कह लेती हूँ
ईद मुबारक
-------------------------------

मैने
अब्बा के आगे
बढाया जो ईदी के लिए  हाथ
गर्म मोती की दो बूंदों गिरीं
और  हथेली भर गई
आज भी हर ईद पर
गीली हो जाती है हथेली
-------------------------------------

सेवईयाँ लाने
गया था बाजार वो
और ब्रेकिंग न्यूज बन गया
अब इस घर में
कभी सेवानियाँ नहीं बनती

61 comments:

सहज साहित्य said...

अनमोल कविताएँ हैं ये रचना बहन । आपकी सोच , आपके छलकते भाव लगता समन्दर ने सँभाले थे अब तक और आपके अल्फ़ाज़ किसी टकसाल से गढ़कर निकाले गए हैं । बहुत मुबारक!!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ईद पर बेहतरीन क्षणिकाएँ ... सब ही एक से बढ़ कर एक ..

अंतिम दो बहुत मार्मिक

डॉ. मोनिका शर्मा said...

मैने
अब्बा के आगे
बढाया जो ईदी के लिए हाथ
गर्म मोती की दो बूंदों गिरीं
और हथेली भर गई
आज भी हर ईद पर
गीली हो जाती है हथेली

बेहद सुंदर ...आँखें भीग गयीं पढ़कर

Unknown said...

मैने
अब्बा के आगे
बढाया जो ईदी के लिए हाथ
गर्म मोती की दो बूंदों गिरीं
और हथेली भर गई
आज भी हर ईद पर
गीली हो जाती है हथेली

बेहद सुंदर और मार्मिक क्षणिका.

Kunwar Kusumesh said...

जैसे ही आसमान पे देखा हिलाले-ईद.
दुनिया ख़ुशी से झूम उठी है,मनाले ईद.
ईद मुबारक

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

आखिरी दो मुक्तक बहुत जोरदार बन पड़े हैं और उन में भी खास कर 'हाथ पर गिरती दो गरम बूंदें' -

बहुत सुंदर तरीक़े से व्यक्त किया गया है मनोभावों को

रश्मि प्रभा... said...

मैने
अब्बा के आगे
बढाया जो ईदी के लिए हाथ
गर्म मोती की दो बूंदों गिरीं
और हथेली भर गई
आज भी हर ईद पर
गीली हो जाती है हथेली
---------------------------------eid mubarak

Bharat Bhushan said...

इतनी मार्मिक क्षणिकाएँ बहुत कम पढ़ने को मिली हैं. संवेदनशीलता से भरी हुई.

daanish said...

रचनाएं
काव्यमय हो, प्रभावित करती हैं
बधाई स्वीकारें .

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

मासूमियत भरी क्षणिकाओं ने मर्म को छू लिया.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

बहुत ही गहनता से गुंथी हुयी रचनाएं...
अंतिम क्षणिका तो आवाक कर देती है...

सादर...

G.N.SHAW said...

रचना जी ईद तो हो गयी ! बधाई ! अब गणेश चतुर्दशी की बहुत सारी शुभ कामनाये आप और आप के परिवार को !

Neelkamal Vaishnaw said...

बहुत ही सुन्दर पढ़ कर अच्छा लगा......
गणेश चतुर्थी की आपको हार्दिक शुभकामनायें
आप भी आये यहाँ कभी कभी
MITRA-MADHUR
MADHUR VAANI
BINDAAS_BAATEN

ऋता शेखर 'मधु' said...

बादल के परदे हटा के
झाँका जो चाँद ने
मुबरक मुबारक !!
के शोर से सिमट गया
सोचा ,
निकलता तो रोज ही हूँ
पर आज ..................
उसे क्या मालूम
के वो ईद का चाँद है

sabhi rachnaen acchi hain,ye wali masoom hai...ek masoom sa sawal-nikalta to roz hi hoon,badhai

Dr.Bhawna Kunwar said...

मैने
अब्बा के आगे
बढाया जो ईदी के लिए हाथ
गर्म मोती की दो बूंदों गिरीं
और हथेली भर गई
आज भी हर ईद पर
गीली हो जाती है हथेली ...
bahut hi marmsparshi..dil ko chhu gayi..

त्रिवेणी said...

बेहतरीन क्षणिकाएँ ....
अब्बा के आगे
बढाया जो ईदी के लिए हाथ
गर्म मोती की दो बूंदों गिरीं
और हथेली भर गई
आज भी हर ईद पर
गीली हो जाती है हथेली
बेहद सुंदर ...
ईद और गणेश चतुर्दशी की बधाई !

Unknown said...

पर आज ..................
उसे क्या मालूम
के वो ईद का चाँद ....
बहुत ही भाव विहल कर देने वाली रचनाएं बचपन की इन्द्रधनुषी यादों को सहेजे हुए ..ईद की हार्दिक शुभ कामनाएं !!!

डॉ. जेन्नी शबनम said...

तुमने ,
sabhi rachnaayen bahut komal marmsparshi hai...
उस रोज
मेरे कानों में
हौले से कहा था
'ईद मुबारक '
अब ,
जब भी देखती हूँ ,
ईद का चाँद
खुद ही कह लेती हूँ
ईद मुबारक
bahut shubhkaamnaayen.

Maheshwari kaneri said...

ईद पर बहुत सुन्दर और मार्मिक क्षणिकाएँ ... बधाई..

Urmi said...

बहुत सुंदर क्षणिकाएं! प्रशंग्सनीय प्रस्तुती!
आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

प्रेम सरोवर said...

भावपूर्ण अभिव्यक्ति मन को आंदोलित कर गयी । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है।

Crazy Codes said...

eid mubarak... maja aa gaya... agle do din uplabdh nahi rahunga... janmdin ki advance mein badhayi...

जयकृष्ण राय तुषार said...

मूंद कर मेरी आँखे
पूछा था तुमने
बताओ कौन हूँ मै?
उन यादों के पल
आज भी
मेरी अलमारी में सजे हैं
तुम कभी आओ
तो दिखाऊंगा
bahut hi sundar kvita badhai aur shubhkamnayen

जयकृष्ण राय तुषार said...

मूंद कर मेरी आँखे
पूछा था तुमने
बताओ कौन हूँ मै?
उन यादों के पल
आज भी
मेरी अलमारी में सजे हैं
तुम कभी आओ
तो दिखाऊंगा
bahut hi sundar kvita badhai aur shubhkamnayen

Minakshi Pant said...

भावनाओं को खूबसूरती से प्रस्तुत करती खूबसूरत रचना |

Minakshi Pant said...

भावनाओं को खूबसूरती से प्रस्तुत करती खूबसूरत रचना |

महेन्‍द्र वर्मा said...

स्मृतियों का सुंदर कोलाज।

पूनम श्रीवास्तव said...

rachna ji
bahut hi sundar bahut bahut hi achhi lagi aapki ye saari xhanikayen .man ko moh gai bas ----
kiski tarrif karun,idke awsar par bahut hi sundar prastuti ke liye badhai tatha aapke jan-diwas ke awsar par aapko dhero shubh kamnaayen.
poonam

जयकृष्ण राय तुषार said...

बेहतरीन क्षणिकाएँ बहुत -बहुत बधाई रचना जी

जयकृष्ण राय तुषार said...

बेहतरीन क्षणिकाएँ बहुत -बहुत बधाई रचना जी

पूनम श्रीवास्तव said...

rachna ji
bahut bahut dil se dhanyvaad jo aapne mujhe apna bahumulya samarthan diya.
aabhaar sahit
poonam

Udan Tashtari said...

बहुत जबरदस्त क्षणिकायें...

सेवईयाँ लाने
गया था बाजार वो
और ब्रेकिंग न्यूज बन गया
अब इस घर में
कभी सेवानियाँ नहीं बनती


-बहुत मार्मिक!!

दिगम्बर नासवा said...

संवेदनाओं से भरपूर है सभी क्षणिकाएं ...
एक से बढ़ कर एक ...

केवल राम said...

सेवईयाँ लाने
गया था बाजार वो
और ब्रेकिंग न्यूज बन गया
अब इस घर में
कभी सेवानियाँ नहीं बनती

हर क्षणिका गहरे अर्थ ध्वनित करती है ....आपकी रचनात्मकता को सलाम

Anonymous said...

बेहद सुंदर ...

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

थोडा देर से मैं यहां आ पाया हूं,
लेकिन लग रहा है कि आज ही ईद है। सच में रचना जी आपको पढना वाकई अच्छा लगता है।

Dr Varsha Singh said...

संवेदनशील रचनाएँ ...

Dr (Miss) Sharad Singh said...

जब भी देखती हूँ ,
ईद का चाँद
खुद ही कह लेती हूँ
ईद मुबारक

संवेदनाओं से भरी बहुत सुन्दर कविताएं ...

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

सीधे सादे लफ्जों में जीवन की तल्‍ख सच्‍चाई उतर आई है।

------
चलो चलें मधुबन में....
मन की प्‍यास बुझाओ, पूरी कर दो हर अभिलाषा।

Rachana said...

aap sabhi ka bahut bahut dhnyavad
aapka likha ek ek shbd mere liye amulya hai
rachana

अमिता कौंडल said...

रचना जी सारे मुक्तक इतने अच्छे हैं कि एक को अगर अगर बहुत अच्छा कहूँगी तो दूसरे से नाइंसाफी होगी. आपकी लेखनी चाहे कविता हो या कहानी हमेशा दिल पर दस्तक देती है. बहुत सुंदर रचना है बधाई.
सादर,
अमिता कौंडल

Sapna Nigam ( mitanigoth.blogspot.com ) said...

मैने
अब्बा के आगे
बढाया जो ईदी के लिए हाथ
गर्म मोती की दो बूंदों गिरीं
और हथेली भर गई
आज भी हर ईद पर
गीली हो जाती है हथेली

अर्थ शास्त्र ,समाज शास्त्र ,काव्य शास्त्र का सारांश.
अद्भुत !!!!

Rakesh Kumar said...

मन मग्न हो गया है आपकी कविता पढकर.
सुन्दर भावों को सहजता से सन्जोया है आपने.
मार्मिक और हृदयस्पर्शी.

अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.

मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.

कविता रावत said...

bahut badiya prastuti..
haardik shubhkanayen..

Rachana said...

aap sabhi ke sneh vachon ka bahut bahut dhnyawad
rachana

Anupam Karn said...

आज भी हर ईद पर
गीली हो जाती है हथेली

बहुत खूब!!

संजय भास्‍कर said...

... नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं....
आपका जीवन मंगलमयी रहे ..यही माता से प्रार्थना हैं ..
जय माता दी !!!!!!

mridula pradhan said...

lazabab.....lekhni hai aapki.

Unknown said...

सुन्दर पोस्ट. हार्दिक शुभकामना दुर्गा पूजा की.

सुनील गज्जाणी said...

बहुत सुन्दर और मार्मिक क्षणिकाएँ बधाई!

amrendra "amar" said...

बेहतरीन रचना.. सुन्दर अभिव्यक्ति....

Urmi said...

आपको एवं आपके परिवार को नवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !

Asha Joglekar said...

ईद पर इतनी खूबसूरत क्षणिकाएं लिखीं हैं आपने रचना जी । आखरी वाली तो दिल तार तार कर गई । आपको बहुत बहुत बधाई आपकी कलम यूं ही परवान चढे ।

अभिषेक मिश्र said...

अर्थ अलग लगाये, मगर भावुकता तो कहीं से उभर ही आई. कौन आता है लौटकर यादों के सजाये पल को देखने.....

चण्डीदत्त शुक्ल said...

uff! उफ़...निःशब्द। शानदार। मुबारक़।

Urmi said...

आपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !

Satish Saxena said...

उफ़....
शुभकामनायें !

Jeevan Pushp said...

अचानक
मेरे बुलाने पर
चौंक कर पलटी थी तुम
और तुम्हारे मेहँदी भरे हाथ
लग गए थे मेरी कमीज़ पर
अब हर ईद पर
मै उसको गले लगता हूँ
आज भी इनसे
गीली मेंहदी की खुशबू आती है

bahut sundar...

Rahul Bhatia said...

अति उत्तम रचना

Anonymous said...

रचना मै तो बस भाव-विभोर हूँ.. आपकी रचनाएँ जब भी पढ़ती हूँ... यही मनस्थिति होती है..कई-कई बार पढ़ चुकी हूँ फ़िर भी हर बार नयी सी ही लगती है. सारी क्षणिकाएं एक से बढ़ कर एक नगीने हैं.. किसी को भी दूसरे से थोड़ा कम अच्छा कहना कतई उचित नहीं होगा...

ईद के मेले में चूड़ी बन कर बिकने की कल्पना हो या अलमारी में सजे यादों के पल.. कमीज पर लगे मेंहदी के निशानों से गीली मेंहदी की खुशबू हो या ईद के चाँद का असमंजस... सब एक से बढ़ कर एक अनूठी कल्पनाएँ हैं जो दिल में कहीं गहरे तक उतर जाती हैं .. और अंत में गीली हथेली और ब्रेकिंग न्यूज तक आते आते तो आपने बस रुला ही दिया... इतनी सुद्नर भावभीनी रचनाओं के लिए प्रशंसा करने लायक शब्द नहीं मेरे पास. ईश्वर आपकी लेखनी को ऐसे ही लाखों-लाख तोहफों से नवाज़े... ईद मुबारक

सादर

मंजु

रचना त्यागी 'आभा' said...

bahut marmik or bhavpoorna rachna ! mujhe bhi apne bachpn ki eid yad a gyi ........dhnyawad mujhe wo yaaden yaad dilane k liye.........ati uttam :)