माँ एक शब्द नहीं ग्रन्थ है जिसमे पूरा संसार समाया है l माँ वो हाथ है
,जिनको आज भी थामने पर एक शक्ति का अहसास होता है l माँ वो सानिध्य है, जो
पास न होते हुए भी पास होने का अनुभव है l माँ वो अभिलाषा है जो सोचने से
पहले ही पूरी हो जाती है l माँ वो प्रार्थना है ,जो कभी खाली नहीं जाती l
माँ वो लोरी है ,जिसे सुनकर बुरे समय में भी नींद आजाती है l माँ वो जीती
जागती मूर्ति है, जिसको पूजने का दिल करता है l माँ वो दुनिया है, जहाँ
बच्चा स्वयं को पूर्ण महसूस करता है l
'नहीं जी ऐसा नहीं है '
आज माँ ने कहा था
जीवन भर
पिता के सामने 'हूँ ','हाँ '
करते ही सुना था
शायद
अब उसे
बड़े हुए बच्चों का
सहारा मिल गया था
-0-
उनके कुछ कहते ही
एक भारी रोबीली आवाज
और कुछ कटीले शब्द
यहाँ वहां उछलने लगे
रात मैने देखा
माँ
अपनी ख्वाहिशों पर
हल्दी प्याज का लेप लगा रही थी
-0-
आज
उस पुराने बक्से में
मिली माँ की
कुछ धुंधली साड़ियाँ
जिनका एक कोना
कुछ चटकीला था
जानी पहचानी
गंध से भरा हुआ l
काम करते करते
अक्सर यहीं
हाथ पोछा करती थी माँ l
-0-
कल रात
कुछ खट्टे सपने
पलकों में उलझे थे
झड रही थी उनसे
भुने मसलों की खुशबू
माँ ने शायद फिर
आम का आचार
डाला होगा
-०-
मेरे माथे पर
हल्दी कुमकुम का टीका है
कल मेरे सपने में
शायद फिर से आई थी माँ
-०-
'नहीं जी ऐसा नहीं है '
आज माँ ने कहा था
जीवन भर
पिता के सामने 'हूँ ','हाँ '
करते ही सुना था
शायद
अब उसे
बड़े हुए बच्चों का
सहारा मिल गया था
-0-
उनके कुछ कहते ही
एक भारी रोबीली आवाज
और कुछ कटीले शब्द
यहाँ वहां उछलने लगे
रात मैने देखा
माँ
अपनी ख्वाहिशों पर
हल्दी प्याज का लेप लगा रही थी
-0-
आज
उस पुराने बक्से में
मिली माँ की
कुछ धुंधली साड़ियाँ
जिनका एक कोना
कुछ चटकीला था
जानी पहचानी
गंध से भरा हुआ l
काम करते करते
अक्सर यहीं
हाथ पोछा करती थी माँ l
-0-
कल रात
कुछ खट्टे सपने
पलकों में उलझे थे
झड रही थी उनसे
भुने मसलों की खुशबू
माँ ने शायद फिर
आम का आचार
डाला होगा
-०-
मेरे माथे पर
हल्दी कुमकुम का टीका है
कल मेरे सपने में
शायद फिर से आई थी माँ
-०-
23 comments:
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार (12-05-2013) के चर्चा मंच 1242 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
माँ की छाया हमेशा बनी रहती है !
अद्भुत .....माँ के स्नेह का साथ सदा बना रहता है .....
मातृ दिवस पर सुन्दर प्रस्तुति
आपको मातृ दिवस हार्दिक शुभकामनाएँ....
door hoke bhi door nahi hoti ma ....
माँ का स्नेह और छाया सदा बनी रहे
ब्लॉग बुलेटिन के माँ दिवस विशेषांक माँ संवेदना है - वन्दे-मातरम् - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ओह बेहद प्रभावी पंक्तियाँ..माँ जैसे सामने आकर खड़ी हो गईं.
बहुत खूबसरत कविता है । गहरे भाव भरी । शुभकामनाएं रचना जी ।
maa kaynaat ke har khushboo mein hai
बहुत सुन्दर रचना ...मातृत्व दिवस की बधाई
माँ एक अलौकिक शक्ति लिए हर पल साथ रहती है ....
तभी तो कहते हैं
मां तुम्हारा उदाहरण जब भी दिया
देव मुस्कराये पवन शांत भाव से बहने लगी
नदिया की कलकल का स्वर मधुर लगने लगा
हर शय छोटी प्रतीत होती है उस वक्त
जब भी बाँहें फैलाकर जरा-सा तुम मुस्करा देती हो
सोचती हूँ जब भी कई बार
तुम्हारा प्यार और तुम्हारे बारे में
बहुत सुन्दर रचना . बधाई
माँ तो एक ऐसा एहसास है जो घनी छाँव की तरह हमेशा रहता है जीवन भर ...
बहुत लाजवाब रचना ...
बहुत सुंदर और भावपूर्ण....
अति सुन्दर । कितने उच्च एवं भावपूरित विचार हैं ! माँ की कृपा आप पर सदैव बनी रहे यही हमारी भावना है ।
आज फिर याद दिला दी तुमने. माँ की !!
जी चाहता है तुम्हे बेटी कहूँ औ तुम्हारी कलम को माँ ! बधाई क्या दू,तुम्हारी रचनाओं की बगिया महकती रहे, येही आशीष और शुभेखा है..
---चाचाजी
एक साल के बाद हिन्दी लेखन और पठन पाठन में फिर से सक्रिय होना अच्छा लग रहा है. माँ पर लिखना जितना मुश्किल है उतना ही आसान है उसका प्यार पाना...आपके एक एक शब्द में माँ की ममता छलकती सी दिखाई दी... आभार
VERY NICE
अच्छा लिखती हो रचना , ऐसे ही लिखती रहो!
You have presented mother's true picture.
vinnie
You have presented true picture of mother.
Vinnie
माँ!
सर्वस्व समाया है इस शब्द में!
Post a Comment