माँ
रिश्तों के गुलदान में
रोज ही सजती
संवेदनाओं के नए पुष्प
डालती स्नेह का छीटा
ताकि बानी रहे ताजगी
पुराने रिश्तों में
-0-
वो रोज
घर पर फ़ोन करता है
सभी हाल चाल पूछते हैं
पर
'घर कब आओगे 'कोई नहीं पूछता
-0-
रिश्तों के गुलदान में
रोज ही सजती
संवेदनाओं के नए पुष्प
डालती स्नेह का छीटा
ताकि बानी रहे ताजगी
पुराने रिश्तों में
-0-
वो रोज
घर पर फ़ोन करता है
सभी हाल चाल पूछते हैं
पर
'घर कब आओगे 'कोई नहीं पूछता
-0-
4 comments:
भावपूर्ण रचना....बहुत बहुत बधाई...
नयी पोस्ट@
आप की जब थी जरुरत आपने धोखा दिया(नई रिकार्डिंग)
सुन्दर रचना.
bahut khoobsurat v bhaa purn rachna ke liye badhai
बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना।
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