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Saturday, June 9, 2012

भारत गई थी अतः बहुत दिनों से आप सभी से दूर रही आज माँ गंगा पर लिखी कुछ क्षणिकाएं आप सभी के सामने प्रस्तुत हैं .गंगा एक नदी ही  नहीं ,एक माँ है ,एक विश्वाश है ,एक आस्था है l

क्षणिकाएं
================================
ना गंगोत्री
ना गोमुख
अब मेरा पता
वृद्धआश्रम
-0-
अब दिखते  नहीं
बस्तियों के प्रतिबिम्ब मुझमे
जल का दर्पण
मैला जो हुआ
-०-
जलने लगी हैं
अब आँखें मेरी
शायद
चुभी है इनमे
तुम्हारे पापों  की किरचें
-०-
अपनी लहरों के जख्म
सीते हुए
साँझ हुई
पर ज़ख्म है की
भरता ही नहीं
-०-
उठ रहा है
मेरे तट से  धुवाँ
आज फिर
किसी घर में
मातम हुआ होगा

32 comments:

Rakesh Kumar said...

आपकी लाजबाब प्रस्तुति पढकर मन भावुक हो गया.

बहुत दिनों से आपके दर्शन नहीं हुए.

मैं भी काफी दिनों से बाहर था.
पिछले महीने अमेरिका में था,
नेट के संपर्क में बहुत कम रहा.

समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा.

Saras said...

वाह रचनाजी ....लाजवाबं रचनायें .....अंत:स को जगाती हुई ....

रचना दीक्षित said...

सुंदर क्षणिकाएँ माँ गंगा को समर्पित.

ब्लॉग पर वापसी पर स्वागत.

रश्मि प्रभा... said...

ना गंगोत्री
ना गोमुख
अब मेरा पता
वृद्धआश्रम.....
.........
प्रत्येक क्षणिकाएँ गंगा का मर्म उद्भाषित कर रही हैं

संजय कुमार चौरसिया said...

Aapne bahut sundar rachna likhi hai

shikha varshney said...

उठ रहा है
मेरे तट से धुवाँ
आज फिर
किसी घर में
मातम हुआ होगा
बेहद ही भावमयी क्षणिकाएं.सब की सब.

Maheshwari kaneri said...

एक से बड़ कर एक मन को छूती हुई.सुंदर क्षणिकाएँ

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बेहतरीन सुंदर क्षणिकाएँ .,,,,, ,

MY RECENT POST,,,,काव्यान्जलि ...: ब्याह रचाने के लिये,,,,,

डॉ. मोनिका शर्मा said...
This comment has been removed by the author.
डॉ. मोनिका शर्मा said...

जलने लगी हैं
अब आँखें मेरी
शायद
चुभी है इनमे
तुम्हारे पापों की किरचें

आह , गंगा माँ के मन की वेदना ...गहन अभिव्यक्ति

Maheshwari kaneri said...

गंगा माँ की गहन वेदना..मन को छू गई..

Dr (Miss) Sharad Singh said...

मन की पीड़ा से उपजी बहुत मार्मिक...सुन्दर संवेदनशील अभिव्यक्ति...

दिगम्बर नासवा said...

उठ रहा है
मेरे तट से धुवाँ
आज फिर
किसी घर में
मातम हुआ होगा ...

मार्मिक ... सभी क्षणिकाएं गंगा का दर्द समेटे हुवे ... गंगा कों समर्पित ...

VIJAY KUMAR VERMA said...

ना गंगोत्री
ना गोमुख
अब मेरा पता
वृद्धआश्रम.....

लाजबाब प्रस्तुति पढकर मन भावुक हो गया.

Rachana said...

aap sabhi ke vicharon ka bahut bahut dhnyavad.

amrendra "amar" said...

अनुपम भाव ... बेहतरीन प्रस्‍तुति।

Darshan Darvesh said...

गंगा को समर्पण अच्छा लगा.! ..

Rakesh Kumar said...

आपका मेरे ब्लॉग पर इन्तजार है,रचना जी.

Dr. Preetikrishna Gupta said...

उठ रहा है
मेरे तट से धुवाँ
आज फिर
किसी घर में
मातम हुआ होगा..
माँ गंगा की वेदना आपके शब्दों द्वारा ह्रदय तक पहुँच गई ..मन भावुक हो उठा...
शुभकामनाएँ रचना जी !!

ANULATA RAJ NAIR said...

जाने क्यूँ आपकी पोस्ट की अपडेट हमारे डेशबोर्ड पर आती नहीं????
सो विलम्ब के लिए क्षमा करें.

बहुत सुन्दर क्षणिकाये ....

उठ रहा है
मेरे तट से धुवाँ
आज फिर
किसी घर में
मातम हुआ होगा

भावनात्मक.....

अनु

शिवनाथ कुमार said...

सुंदर एवं भावमयी क्षणिकाएँ, सब एक से बढ़कर एक ......
साभार !!

Satish Saxena said...

आज फिर
किसी घर में
मातम हुआ होगा

सभी दिल पर असर करती हुईं ...
बधाई !

dinesh gautam said...

बहुत अच्छी रचना!गंगा का चित्र खिंच गया आँखों में।

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

.


बहुत भावपूर्ण क्षणिकाएं हैं आदरणीया रचना जी !

हर क्षणिका में सच्चाई और संवेदना का सम्मिश्रण है …
सभी मन को छूती हुईं …
नमन आपकी लेखनी को !

Ila said...

सुन्दर क्षणिकाएं !
इला

Ila said...

सुन्दर क्षणिकाएं !
इला

Dr.Bhawna Kunwar said...

Sundar abhivyakti...

Anonymous said...

marmsprshi rachna"such mat kho,such se daro ab sb ye khne lg gye hai,aasma se jhooth ke pattharbarsne lg gye hai...a'talkh succhaye se laberej prasuti

प्रेम सरोवर said...

उठ रहा है
मेरे तट से धुवाँ
आज फिर
किसी घर में
मातम हुआ होगा

गंगा जी के प्रति आपकी असीम श्रद्धा मन को दोलायमान कर गई। प्रस्तुत क्षणिकाएं अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।

प्रेम सरोवर said...

प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।

Asha Joglekar said...

वाह और आह कितना दर्द भरा है इन क्षणिकाओं में ।

Elizabeth said...

गंगा को समर्पण अच्छा लगा.! ..