आज बिना कुछ लिखे ये कविता पोस्ट करना चाहती हूँ क्योंकी लिखने को इतना कुछ की न लिखना ही अधिक ठीक है
पेड़ ने शोक न मनाया
जबएक एक कर
पत्ते साथ छोड़ गए
दुखी न हुआ तब भी
जब गिलहरियों ने चिड़ियों ने
उस पर फुदकना छोड़ दिया
कुछ न कहा उसने
जब सूरज की किरण
जो थामे रहती थी
हर वख्त
उसका दामन
छोड़ उसे
धुन्ध की गोद में समा गई
चुप रहा वो
जब ठूठ हुए बदन को
बर्फ के फूलों की चादर
ने ढक लिया
ठंढ की लहर
उसको अन्दर तक छिल गई थी
पर आज
तो वृक्ष चिटक गया था
दर्द का एक दरिया
फुनगी से जड़ों तक बह रहा था
और उसकी उदासी से पूरा मौसम उदास था
आज उसने शायद न्यूज़ देखी ली थी
संस्कारों के देश में
दरिंदो का तांडव देखा था
और महसूस किया था उस चीख को
जिसको वो अमानुष
न महसूस कर पाए
उदास था वो दरख़्त
क्योंकी न्याय की प्रतीक्षा में
दो जोड़ी आँखें
आज भी झाँख रहीं हैं अम्बर से
पेड़ ने शोक न मनाया
जबएक एक कर
पत्ते साथ छोड़ गए
दुखी न हुआ तब भी
जब गिलहरियों ने चिड़ियों ने
उस पर फुदकना छोड़ दिया
कुछ न कहा उसने
जब सूरज की किरण
जो थामे रहती थी
हर वख्त
उसका दामन
छोड़ उसे
धुन्ध की गोद में समा गई
चुप रहा वो
जब ठूठ हुए बदन को
बर्फ के फूलों की चादर
ने ढक लिया
ठंढ की लहर
उसको अन्दर तक छिल गई थी
पर आज
तो वृक्ष चिटक गया था
दर्द का एक दरिया
फुनगी से जड़ों तक बह रहा था
और उसकी उदासी से पूरा मौसम उदास था
आज उसने शायद न्यूज़ देखी ली थी
संस्कारों के देश में
दरिंदो का तांडव देखा था
और महसूस किया था उस चीख को
जिसको वो अमानुष
न महसूस कर पाए
उदास था वो दरख़्त
क्योंकी न्याय की प्रतीक्षा में
दो जोड़ी आँखें
आज भी झाँख रहीं हैं अम्बर से
20 comments:
मर्मस्पर्शी.......
कुछ न कहते हुए भी ...कितना कुछ दिया दिया ......वाकई ...:(
YE DARD KA BYAN HAI , PED , PARIVAR AUR SAKSKAR ........ DHEERE DHEERE LUPT HO RAHE HAIN
ओह, बहुत सुंदर
कभी कभी ऐसी रचनाएं पढने को मिलती हैं..
लाजबाब मार्मिक अभिव्यक्ति ,,,
recent post : बस्तर-बाला,,,
बहुत गहरा .... मर्म को छूता हुवा ...
लावाब रचना है ... मूक ठूंठ भी समझता है दर्द क्या होता है ... पता नहीं अमानुष कब सुनेंगे ये चीत्कार ...
उदास था वो दरख़्त
क्योंकी न्याय की प्रतीक्षा में
दो जोड़ी आँखें
आज भी झाँख रहीं हैं अम्बर से.
बहुत गंभीर प्रश्न उठाती है यह सुंदर प्रस्तुति.
बहुत बधाई रचना जी.
लाजवाब प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
मार्मिक, प्रतीकात्मक, वाह !!!!
achchi rachana
बहुत कुछ कहती मर्मस्पर्शी रचना
सादर !
ह्रदय को छू लेने वाली रचना.बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी बेह्तरीन अभिव्यक्ति !शुभकामनायें.
आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
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http://mmsaxena69.blogspot.in/
आशा बनी रहे...
शुभकामनायें ...
मार्मिक,प्रतीकात्मक,अभिव्यक्ति,
Recent Post दिन हौले-हौले ढलता है,
उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
बहुत मर्मस्पर्शी रचना. संवेदनहीन दुनिया का सत्य है. उत्कृष्ट रचना के लिए बधाई.
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Will there be a part 2?
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शब्द कि इस मर्म को .... मैं यूँ समझ कर आ गया …
अल्फाज पढ़ के यूँ लगा .... खुद से ही मिल के आ गया ....
बहुत खूब ....
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